प्रेम अनुभूति का विषय है..इसीलिए इसकी अभिव्यक्ति की जरूरत सबको महसूस होती है.. अतः,अपनी मौलिक कविताओं व रेखाचित्रो के माध्यम से, इसे अभिव्यक्त करने की कोशिश कर रहा हू मैं यहाँ.
सोमवार, 29 अप्रैल 2019
रविवार, 28 अप्रैल 2019
शुक्रवार, 26 अप्रैल 2019
बुधवार, 24 अप्रैल 2019
सोमवार, 22 अप्रैल 2019
हमे तो अबभी वो गुजरा जमाना याद आता है
तुम्हें जान कहते थे हम अपनी
मगर तुमने बेजान मुझे इस कदर किया कि
तुम्हारी नजरों में प्यार का आशियाँ बनाकर
भी
बेघर हूँ
सारा संसार अपनापन दिखाता था
जब पहले-पहल हम मिले थे
गीत नुसरत फतेह अली खान का
और चित्र राजा रवि वर्मा का
सुना
देखा
सराहा करते थे
अब बात और है
गुलाम अली के मखमली आवाज में गुनगुनाये तो
"हमे तो अबभी वो गुजरा जमाना याद आता है
तुम्हें भी क्या कभी कोई दीवाना याद आता है....."
चित्र व कविता - रवीन्द्र भारद्वाज
रविवार, 21 अप्रैल 2019
आदमी अकेले जीना नही चाहता
आदमी अकेले आता है
और अकेले जाता है
लेकिन अकेले जीना नही चाहता
ना जाने क्यों !
वह मकड़ी का जाल बुनता है रिश्तों का
और खुद ही फँसता जाता है
उस जाल से वह जितना निकलने की कोशिश करता है
उतना ही उलझता जाता है
कविता - रवीन्द्र भारद्वाज
चित्र - गूगल से साभार
शुक्रवार, 19 अप्रैल 2019
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