प्रेम अनुभूति का विषय है..इसीलिए इसकी अभिव्यक्ति की जरूरत सबको महसूस होती है.. अतः,अपनी मौलिक कविताओं व रेखाचित्रो के माध्यम से, इसे अभिव्यक्त करने की कोशिश कर रहा हू मैं यहाँ.
शुक्रवार, 19 अप्रैल 2019
मंगलवार, 16 अप्रैल 2019
शनिवार, 13 अप्रैल 2019
धर्म, ईश्वर और धर्मउपदेशक
धर्म
धर्म दो धारी तलवार है !
अन्धानुसरण भी बुरा है
और उपेक्षित मन से इसे देखना भी बुरा है
किन्तु गला तो दोनों ही सुरत में कटना है
ईश्वर
कोई मुझसे एकदिन पूछ बैठा
तुम नास्तिक हो कि आस्तिक !
..मन्दिर तो तुम जाते हो लेकिन पूजा-पाठ नही करते क्यों !
मैंने कई तर्क दिए यथा मुझे दूसरे के आस्था की परवाह है इसलिए मन्दिर जाता हूँ..
लेकिन मुझे ईश्वर पर उतना विश्वास नही
जितना होना चाहिए..
दरअसल, आजतक मैंने किसीको नही सुना
यह कहते हुए कि
ईश्वर है !
यह कहते हुए जरुर सुना है कि
ईश्वर है मगर नजर नही आता हरकिसीको !
धर्मउपदेशक
धर्मउपदेशक धर्म की व्याख्या मनमानी करते है
और ईश्वर की प्रशंसा करते नही थकते
लेकिन उनको मेरा सुझाव है कि
धर्म को कर्म से मिलाये
और धर्म को धर्म ही बनाये रखने की कोशिश करे
न कि व्यवसाय !
कविता - रवीन्द्र भारद्वाज
चित्र - गूगल से साभार
मुझे नही मरना था
मुझे नही मरना था
घुट-घुटकर
मुझे जीना था तेरे प्यार में भी
जी खोलकर
मगर
तूने आहिस्ता-आहिस्ता खंजर भोका
मेरे उसी हृदय में
जिसमे प्रेम के पुष्प खिल चुके थे
सिर्फ और सिर्फ तुम्हें
महक सुंघाने के लिए
मैं गवार था
मगर उतना भी नही कि
नजरों से गिराकर अपने
मेरा जीना दुश्वार किए
( समझ न सकू )
फिरभी मैं चुप रहा
जबकि मैं चुप रहनेवालो में से नही हूँ
रेखाचित्र व कविता - रवीन्द्र भारद्वाज
गुरुवार, 11 अप्रैल 2019
जीने दो मुझे
जीने दो मुझे
बड़ी मुश्किल से मैं जीता हूँ
खाने को भोजन नहीं मिलता
पूरे दिन धुप-बतास में भटकता -फिरता हूँ
आसमान का छत
माना कि बहुत ख़ूबसूरत लगता है
गर्मीवाली रातों में
लेकिन सर्दी और बरसाती रातें
तन , मन को काट, बाँट देती है
खुली हवा में
कविता - रवीन्द्र भारद्वाज
चित्र - गूगल से साभार
बुधवार, 10 अप्रैल 2019
मंगलवार, 9 अप्रैल 2019
मुझे तेरी चाहत की कसम
मुझे तेरी चाहत की कसम
जबतक जिऊंगा
तुम्हारे इश्क़ में जिऊंगा
मुझे किसकी परवाह किसकी फ़िक्र
जबतक ना मौत आये
तुम्हे अपने सीने से लगाने के लिए
तकदीर से लडूंगा
मानांकि
मेरा कोई हक नही बनता तुमपर
पर तुम्हे छोड़ दू
ये सोचकर
कि मेरे गैर तुम्हारे अपने तुम्हारा ख्याल रखेंगे
ऐसी बातों पर मुझे विश्वास नही तनिक
रेखाचित्र व कविता - रवीन्द्र भारद्वाज
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