प्रेम अनुभूति का विषय है..इसीलिए इसकी अभिव्यक्ति की जरूरत सबको महसूस होती है.. अतः,अपनी मौलिक कविताओं व रेखाचित्रो के माध्यम से, इसे अभिव्यक्त करने की कोशिश कर रहा हू मैं यहाँ.
गुरुवार, 10 जनवरी 2019
बुधवार, 9 जनवरी 2019
मंगलवार, 8 जनवरी 2019
आधी रात गये
Art by Ravindra Bhardvaj |
एक
आधी रात गये
आधी उम्र गयी
बात कुछ बनी नहीं
बात कुछ बिगड़ी भी नहीं
वो मेरे पास
मैं उसके पास
दो
बड़ा ही खुबसुरत भरम होता हैं
तू अबभी मेरे लिए रोता हैं
जबकि वो जमाने उड़ते चले गये
क्षितिज की ओर
तुम्हारी ओढ़नी की तरह
मैं भी उड़ता था कभी
तुम्हारे आगे-पीछे
अब सामना
होना
दुर्गम जान पड़ता हैं
बरस पर बरस बीत रहे हैं
हम खुद में तुमको ढूढ़ रहे हैं
यह कैसी खोज हैं
कि मिलकर भी
खुद मे
तुमसे
जैसे मिलना ही नही चाहता हूँ मैं तुमसे.
तीन
वो
हवा का झोंका
पुरबा
पछुआ
उसे आते ही
चले जाना हैं
खाब
याद
एहसास
बनकर.
- रवीन्द्र भारद्वाज
रविवार, 6 जनवरी 2019
शनिवार, 5 जनवरी 2019
शुक्रवार, 4 जनवरी 2019
जंग में शहीद हुए जवानो !
गूगल से साभार |
एक
जंग में शहीद हुए जवानो !
तुम अमर हो !
अमरता, शाश्वत होती हैं
और अमरता का गान भी, शाश्वत होता हैं
दो
भले ही
शोकाकुल है माँ
पत्नी
और उसके बच्चे
लेकिन गौरवान्तित महसूस करते है सभी.
(अपने पुत्र, पति, पिता के शहादत पर)
तीन
अपनी माँ से पहले
हम अपने मातृभूमि के लाल हैं !
और मातृभूमि के लिए तो
सहस्त्रो जीवन कुर्बान हैं !
- रवीन्द्र भारद्वाज
गुरुवार, 3 जनवरी 2019
प्यार का आशियाँ
Art by Ravindra Bhardvaj |
प्यार का आशियाँ
पंछी के घोंसले जैसा होता हैं
हरकोई बहुरुपियाँ होता हैं
जब चढ़े नजर में किसीके
उजाड़ जाता हैं
पता नही कौन-सी ख़ुशी मिलती हैं उनको
पता नही किस प्रयोजन से नष्ट करता हैं
हरकोई
प्यार का आशियाँ
ऐ प्यार के आशियाँ नष्ट करनेवालों !
जिसदिन तुम्हारा मन हो
बताना जरुर
क्यों ?
- रवीन्द्र भारद्वाज
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