प्रेम अनुभूति का विषय है..इसीलिए इसकी अभिव्यक्ति की जरूरत सबको महसूस होती है.. अतः,अपनी मौलिक कविताओं व रेखाचित्रो के माध्यम से, इसे अभिव्यक्त करने की कोशिश कर रहा हू मैं यहाँ.
शनिवार, 5 जनवरी 2019
शुक्रवार, 4 जनवरी 2019
जंग में शहीद हुए जवानो !
![]() |
गूगल से साभार |
एक
जंग में शहीद हुए जवानो !
तुम अमर हो !
अमरता, शाश्वत होती हैं
और अमरता का गान भी, शाश्वत होता हैं
दो
भले ही
शोकाकुल है माँ
पत्नी
और उसके बच्चे
लेकिन गौरवान्तित महसूस करते है सभी.
(अपने पुत्र, पति, पिता के शहादत पर)
तीन
अपनी माँ से पहले
हम अपने मातृभूमि के लाल हैं !
और मातृभूमि के लिए तो
सहस्त्रो जीवन कुर्बान हैं !
- रवीन्द्र भारद्वाज
गुरुवार, 3 जनवरी 2019
प्यार का आशियाँ
![]() |
Art by Ravindra Bhardvaj |
प्यार का आशियाँ
पंछी के घोंसले जैसा होता हैं
हरकोई बहुरुपियाँ होता हैं
जब चढ़े नजर में किसीके
उजाड़ जाता हैं
पता नही कौन-सी ख़ुशी मिलती हैं उनको
पता नही किस प्रयोजन से नष्ट करता हैं
हरकोई
प्यार का आशियाँ
ऐ प्यार के आशियाँ नष्ट करनेवालों !
जिसदिन तुम्हारा मन हो
बताना जरुर
क्यों ?
- रवीन्द्र भारद्वाज
बुधवार, 2 जनवरी 2019
मंगलवार, 1 जनवरी 2019
आगामी वर्ष की शुभकामनाएं !
![]() |
Art by Ravindra Bhardvaj |
एक
तुम्हे रुकना होता तो
रुक गये होते मेरे घर
आलमारी में
तहा के
करीने से
रख दिए होते अपना वस्त्र
अब देर हो चुकी है
और तुम नही लौटोगीं
मेरा खैर-खबर लेने
पेड़
पगडंडी
खेत
और तालाब
अपने गाँव से
निकाले हुए लगते हैं
ठीक मेरी तरह
दो
इस साल की विदाई हो रही है
आगामी वर्ष में
कुछ
-बहुत कुछ अच्छा होने का कयास लगा रहा
है हरकोई
हरकोई कही न कही खुश हैं
तिनके जितना
पर अपनी व्यथा तुमसे क्या कहू
जिसे सुनना था वो बुझना ही नही चाहता
फिरभी
आगामी वर्ष की शुभकामनाए !
आप सभी को
और तुमको भी प्रिये !
सहृदय..
-रवीन्द्र भारद्वाज
सोमवार, 31 दिसंबर 2018
रविवार, 30 दिसंबर 2018
सदस्यता लें
संदेश (Atom)
सोचता हूँ..
सोचता हूँ.. तुम होते यहाँ तो बहार होती बेरुत भी सोचता हूँ.. तुम्हारा होना , न होना ज्यादा मायने नही रखता यार ! यादों का भी साथ बहुत होता...

-
बड़े ही संगीन जुर्म को अंजाम दिया तुम्हारी इन कजरारी आँखों ने पहले तो नेह के समन्दर छलकते थे इनसे पर अब नफरत के ज्वार उठते हैं...
-
सघन जंगल की तन्हाई समेटकर अपनी बाहों में जी रहा हूँ कभी उनसे भेंट होंगी और तसल्ली के कुछ वक्त होंगे उनके पास यही सोचकर जी रहा हूँ जी ...
-
तुम्हें भूला सकना मेरे वश में नही नही है मौत भी मुकम्मल अभी रस्ते घर गलियाँ गुजरती है तुझमें से ही मुझमे ...