प्रेम अनुभूति का विषय है..इसीलिए इसकी अभिव्यक्ति की जरूरत सबको महसूस होती है.. अतः,अपनी मौलिक कविताओं व रेखाचित्रो के माध्यम से, इसे अभिव्यक्त करने की कोशिश कर रहा हू मैं यहाँ.
गुरुवार, 13 दिसंबर 2018
बुधवार, 12 दिसंबर 2018
मंगलवार, 11 दिसंबर 2018
सोमवार, 10 दिसंबर 2018
रविवार, 9 दिसंबर 2018
रुक जाओ ना
मैंने तो ये सोचा ही नही था
तुम आई हो इसबार भी चली जाओगी
होठो पर हँसी रखकर मेरे
जेहन में लिखकर अल्फाज़ प्यार के
कल चली जाओगी न
ना जाना
मुझे छोड़कर तन्हा
तन्हा सफर नही कटता
यादें कटती है
होठो पर
होठ धर दो अपने
बाहों में सिमट जाओ
यू कि पूरी दुनिया लगु मैं तेरी
तू मुझपे इतना क्यू बिफरती है
मैं क्या कोई अजनबी हू
नही न
तब फिर
रुक जाओ ना
इस एक जनम के लिए
प्लीज..
अगले जनम का मैं नही जानता.
रेखाचित्र व कविता - रवीन्द्र भारद्वाज
शुक्रवार, 7 दिसंबर 2018
गुरुवार, 6 दिसंबर 2018
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