बुधवार, 5 दिसंबर 2018

सिर्फ मेरे लिए

तुम महकती थी 
जब गुलाब थी 

तुम उड़ती थी 
जब परवाज थी 

तुम चलती थी 
जब नदी थी 


तुम ठहरी हो अब 
धरती हो 

बड़ी आसानी से स्वीकार कर लिया 
तुम नही लड़ सकती अब हरकिसीसे 
सिर्फ मेरे लिए.
रेखाचित्र व कविता - रवीन्द्र भारद्वाज

मंगलवार, 4 दिसंबर 2018

बहुत याद आउंगा मैं

 

थोड़ा सा बरस जा 
पूरा भींग जाउंगा मैं 

थोड़ा सा तरस जा 
बहुत याद आउंगा मैं 

एकबार तो पाने की कोशिश कर पगली !
मुझे 
पूरा का पूरा मिलूंगा मैं तुम्हें.
रेखाचित्र व कविता - रवीन्द्र भारद्वाज 

सोमवार, 3 दिसंबर 2018

मुझे तुम नही मिले..

मुझे तुम नही मिलें 
ना तुम्हारा नसीब मिला 

तुम खो गये अचानक से 
मेरे साथ चलते-चलते 
पल दो पल का तो सफर रहा 

माना अजनबी चेहरे को पढना होता है बार-बार 
पर धोका होने या मिलने का 
तुम्हारे मन में हमेशा संशय बना रहा.
रेखाचित्र व कविता - रवीन्द्र भारद्वाज 

रविवार, 2 दिसंबर 2018

तुम चुप थी..

तूने बेपरवाह रखा 
मुझे 
अपने गम से 

मेरी आँखे नम रही 
क्यूंकि तुम नही मिली कभी फुर्सत निकालके 

बड़ी आरज़ू थी कि
मिलते ही 
बताओगी
ना मिलने का सबब 

पर 
तुम चुप थी
ऐसे 
जैसे आकाश 

तुम पाषाण बन चुकी थी  
न जाने कौन तुम्हारी शोख-चंचलता को 
नष्ट कर दिया था 
हर सिरे से.
रेखाचित्र व कविता - रवीन्द्र भारद्वाज 

शुक्रवार, 30 नवंबर 2018

एकबार

तुझसे गले मिलना था 
कम से कम 
एकबार 

एकबार 
एक-दुसरे के छाती से लगकर 
सुनना था 
धक-धक
रेखाचित्र व कविता - रवीन्द्र भारद्वाज 

गुरुवार, 29 नवंबर 2018

ये दिल !

जो  गुजरा 
वो गुजरा नही .

आजभी 
उसका ख्याल 
क्यूं बुनता है ये दिल !

ये दिल !
सम्भल जा !
अब आँखों में आसू नही बचा 
एकभी .
रेखाचित्र व कविता - रवीन्द्र भारद्वाज 

बुधवार, 28 नवंबर 2018

सुबह का इंतजार पूरा हुआ


आज सुबह का इंतजार
पूरा हुआ

होठो पे हँसी है
आँखों में चमक

पत्तो पर
ओस की जवानी है
मोती सदृश्य

मुर्गे का बाग़ है
गूंजता
अभीभी
माहौल में

छत पर
एक कबूतर है

उस छत पर दो
बैठे है

तुम भी आज क्या खूब निखरी-निखरी दिख रही हो यार !
रेखाचित्र व कविता - रवीन्द्र भारद्वाज

सोचता हूँ..

सोचता हूँ.. तुम होते यहाँ तो  बहार होती बेरुत भी  सोचता हूँ.. तुम्हारा होना , न होना  ज्यादा मायने नही रखता यार !  यादों का भी साथ बहुत होता...