बुधवार, 5 दिसंबर 2018

सिर्फ मेरे लिए

तुम महकती थी 
जब गुलाब थी 

तुम उड़ती थी 
जब परवाज थी 

तुम चलती थी 
जब नदी थी 


तुम ठहरी हो अब 
धरती हो 

बड़ी आसानी से स्वीकार कर लिया 
तुम नही लड़ सकती अब हरकिसीसे 
सिर्फ मेरे लिए.
रेखाचित्र व कविता - रवीन्द्र भारद्वाज

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