सोमवार, 15 अक्टूबर 2018

बेटी अब विदा ना होगी


बेटी 
अब विदा ना होगी 
ससुराल को 

ससुराल ही 
अब विदा करेगा 
श्मशान को 

बेटी 
अब विदा ना होगी 
मायके को 

मायका ही बन जायेगा 
सपना !
   रेखाचित्र व कविता  - रवीन्द्र भारद्वाज 

शनिवार, 13 अक्टूबर 2018

आओ ना

तुम आओ ना
सासों का डोर थामने
बहके-बहके से है जो.

उदासी के भीड़-भाड़ में
मै ही नही अकेला
अवसादग्रस्त




















तुम आओ ना
अपना अकेलापन लेकर
मेरे ह्दय का दरवाजा हमेशा से खुला है
तुम्हारे लौटने का आश लिए.
रेखाचित्र व कविता - रवीन्द्र भारद्वाज



शुक्रवार, 12 अक्टूबर 2018

तू मुझसे दूर, मै तुझसे दूर






















तू मुझसे दूर

मै तुझसे दूर हू

इन दूरियों की वजह क्या होगी भला
जब हम बात तक नही करना पसंद करते है
एक-दुसरे से..
रेखाचित्र व कविता - रवीन्द्र भारद्वाज

गुरुवार, 11 अक्टूबर 2018

कहाँ ढूंढू उसे

Art by Ravindra Bhardvaj















कहाँ ढूंढू उसे
जो जानबुझकर छोड़ गया मुझे
अकेला

अकेले मै ठीक हू

पर उसकी यादो का मेरे साथ होना
अफ़सोस दिलाता रहता है मुझको
हमेशा.
रेखाचित्र व कविता - रवीन्द्र भारद्वाज

बुधवार, 10 अक्टूबर 2018

चलो..हम तुमको याद करते है..

1
चलो..
हम तुमको याद करते है..

और फिरसे
मिलने की फरियाद करते है
ख़ुदा से।



2
तुम मिल ही जाओगी मुझे
अगर भूल गई होगी तुम मुझको..

तुम नही मिलोगी
भूला दी होंगी अगर मुझको !
रेखाचित्र व कविता - रवीन्द्र भारद्वाज

















मंगलवार, 9 अक्टूबर 2018

ज़िंदा हू



तेरे दम पर ज़िंदा हू अबतक

अबतक मेरी सासों में
तेरी ही खुशबू है..
रेखाचित्र व कविता - रवीन्द्र भारद्वाज




















सोमवार, 8 अक्टूबर 2018

प्यार हो जाता है

मुझे नही मालूम
तुम्हारे साथ क्या करना है
प्यार करना है
या बस दिल्लगी..

फिरभी तुम्हे तो मालूम होगा न
प्यार किया नही जाता है
हो जाता है.
- रवीन्द्र भारद्वाज


सोचता हूँ..

सोचता हूँ.. तुम होते यहाँ तो  बहार होती बेरुत भी  सोचता हूँ.. तुम्हारा होना , न होना  ज्यादा मायने नही रखता यार !  यादों का भी साथ बहुत होता...