तुमसे
मिलकर
बिछड़कर
जाना
प्यार क्या है !
प्यार
एक हवा का झोंका हैं
जो आता है और चला जाता हैं
पलक झपकते
- रवीन्द्र भारद्वाज
प्रेम अनुभूति का विषय है..इसीलिए इसकी अभिव्यक्ति की जरूरत सबको महसूस होती है.. अतः,अपनी मौलिक कविताओं व रेखाचित्रो के माध्यम से, इसे अभिव्यक्त करने की कोशिश कर रहा हू मैं यहाँ.
कभी शिकायत थी तुमसे
ऐ जिंदगी !
अब नही है...
जीने का जुनून था
कुछ कर गुजरना खून में था
तकलीफ भी कम तकलीफ देती थी
तब।
अब
अपने पराये को
ताक पर रखकर जीते हैं
जबसे
डसा हैं
तुमनें
अपना भी बनाकर
और पराया भी बनाकर...
कभी प्रणय भी था
ऐ जिंदगी !
तुमसे।
- रवीन्द्र भारद्वाज
सोचता हूँ.. तुम होते यहाँ तो बहार होती बेरुत भी सोचता हूँ.. तुम्हारा होना , न होना ज्यादा मायने नही रखता यार ! यादों का भी साथ बहुत होता...