प्रेम अनुभूति का विषय है..इसीलिए इसकी अभिव्यक्ति की जरूरत सबको महसूस होती है.. अतः,अपनी मौलिक कविताओं व रेखाचित्रो के माध्यम से, इसे अभिव्यक्त करने की कोशिश कर रहा हू मैं यहाँ.
रविवार, 24 मई 2020
शनिवार, 16 मई 2020
वो जहाँ भी रहे
वो जहाँ भी रहे
खुश रहे
क्योंकि
जबतक मैं उसके प्यार मे था
अंधेरे में भी उजाला नजर आता था
क्योंकि
जबतक मुझे उसका इंतजार था
तबतक उम्मीद नजर आती था
क्योंकि
जबतक वो दहलीज़ों को लांघती रही
कुछ कर गुजरने का जज्बा था
इस दिल के अंदर
इस दिल के अंदर आखिर
उसके प्यार का समंदर
मचलता था
अनायास ही छलक भी जाता था
उसके प्यार का समंदर
खैर, वो जहाँ भी रहे
खुश रहे
~ रवीन्द्र भारद्वाज
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