भठ्ठा के मजदूरों को देखकर
वह बोली -
गरीबी बहुत बुरी चीज हैं..
..भगवान जिसको देता हैं
खूब देता हैं
जिसको नही देता हैं
कुछ नही देता हैं
कविता - रवीन्द्र भारद्वाज
चित्र - गूगल से साभार
प्रेम अनुभूति का विषय है..इसीलिए इसकी अभिव्यक्ति की जरूरत सबको महसूस होती है.. अतः,अपनी मौलिक कविताओं व रेखाचित्रो के माध्यम से, इसे अभिव्यक्त करने की कोशिश कर रहा हू मैं यहाँ.
सोचता हूँ.. तुम होते यहाँ तो बहार होती बेरुत भी सोचता हूँ.. तुम्हारा होना , न होना ज्यादा मायने नही रखता यार ! यादों का भी साथ बहुत होता...
गहरी बात कह दी आपने। नज़र आती हुये पर भी यकीं नहीं आता।
जवाब देंहटाएंसत्य कहा आदरणीय
हटाएंहृदयतल से आभार
सुन्दर
जवाब देंहटाएंजी अत्यंत आभार आदरणीया
हटाएंबहुत खूब 👌👌
जवाब देंहटाएंजी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
११ मार्च २०१९ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
जी बहुत-बहुत आभार आदरणीया
हटाएंइस रचना को 'पांच लिंकों का आनंद' में साझा करने के लिए
वाह !!बहुत खूब ...
जवाब देंहटाएंजी बहुत-बहुत आभार
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर...
जवाब देंहटाएंजी बहुत-बहुत आभार
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