जीते जी
मुझे कितना कष्ट झेलना पड़ा
सिर्फ तुम्हारे वजह से
खाब
एहसास
याद
का मानदंड काम न आया
और मैं बिखरता ही रहा
कविता - रवीन्द्र भारद्वाज
चित्र - गूगल से साभार
प्रेम अनुभूति का विषय है..इसीलिए इसकी अभिव्यक्ति की जरूरत सबको महसूस होती है.. अतः,अपनी मौलिक कविताओं व रेखाचित्रो के माध्यम से, इसे अभिव्यक्त करने की कोशिश कर रहा हू मैं यहाँ.
सोचता हूँ.. तुम होते यहाँ तो बहार होती बेरुत भी सोचता हूँ.. तुम्हारा होना , न होना ज्यादा मायने नही रखता यार ! यादों का भी साथ बहुत होता...
वाह....लेकिन
जवाब देंहटाएंसंवरिये जनाब। बिखरिये मत।
भरसक कोशिश यही हैं ...
हटाएंआभार.... आदरणीय सह्दय।
गहरे ज़ज्बात उडेल दिए हैं
जवाब देंहटाएंजी बहुत-बहुत आभार आदरणीय
हटाएंसादर