गुरुवार, 27 सितंबर 2018

सोचा था..

सोचा था..
भूल जाऊँगा मै तुम्हे
पर ये हो ना सका मुझसे

क्योंकि तुम सा
मै नहीं !
रेखाचित्र व कविता - रवीन्द्र भारद्वाज

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

सोचता हूँ..

सोचता हूँ.. तुम होते यहाँ तो  बहार होती बेरुत भी  सोचता हूँ.. तुम्हारा होना , न होना  ज्यादा मायने नही रखता यार !  यादों का भी साथ बहुत होता...