शनिवार, 15 दिसंबर 2018

तू अबभी है मेरे जेहन में

धूप में 
बिखरे बाल 

हाथ में 
रुमाल 

तू अबभी मेरे जेहन में है 
प्रेयसी सरीखी 

लेकिन मैं नही हू 
तुम्हारे नजर में 
एक अच्छा, सच्चा प्रेमी.
- रवीन्द्र भारद्वाज 

शुक्रवार, 14 दिसंबर 2018

वो बहुत दूर निकल चुकी है मुझसे

ऐ रात ! 
तू छिपा ले 
मेरी हरेक कुटिलता.

ऐ दिन !

दिखा दे तू सबको आईना
मेरे अथक परिश्रम का.

ऐ समय !

अब ना रुक 
वो बहुत दूर निकल चुकी है मुझसे.

ऐ कविता !

उसे मुक्त कर
जो बसा रहता है 
मुझसे 
तुममे.
- रवीन्द्र भारद्वाज 

गुरुवार, 13 दिसंबर 2018

"Now a Day"

Art by Ravindra Bhardvaj
I supposed 
You are mine



But now a day 

I see
Like that 
There is no sign.
Sketch and Poetry - Ravindra Bhardvaj 

शिशिर सिरहाने तक

Art by Ravindra Bhardvaj
शिशिर सिरहाने तक आ पहुँचा है..

सूरज भी 

अब देर से जगता है 

'सो ले 

कुछ देर और..'
कभी मैं 
तो कभी वो कहे जा रही है-

जॉन डन की कविता 'द सन राइजिंग'

तैरने लगी है 
शब्दों की मछलियाँ बनकर 
पुरे कमरे में.
रेखाचित्र व कविता - रवीन्द्र भारद्वाज  

बुधवार, 12 दिसंबर 2018

समझ में नही आया..

Art by Ravindra Bhardvaj
मेरा अस्त 
जबरन किया तुमने.


तुम्हारे अलावा था ही कौन 

मुझे समझनेवाला.


मेरा प्यार कि तेरा प्यार 

समझ में नही आया.. 
एक तरफा था 
कि दो तरफा. 
रेखाचित्र व कविता - रवीन्द्र भारद्वाज 

मंगलवार, 11 दिसंबर 2018

फूलों का कांटो का संग है

Art by Ravindra Bhardvaj 
फूलों का कांटो का संग है 


मेरे सबसे अजीज दुश्मन !

मेरे गम से 
क्या तेरा गम कम है !


तू रोक दे 

कोड़े बरसाना 
मुझपर 
दशरथ मांझी का सा फर्ज है !
रेखाचित्र व कविता - रवीन्द्र भारद्वाज 

सोमवार, 10 दिसंबर 2018

एक नदी और दो किनारा


एक नदी 

और दो किनारा 


दूर 

बड़ी दूर 
है मंजिल 
नदी की 

लेकिन 
बिना किनारे के 
उसकी बहाव नामुमकिन है !


फिरभी 

बहे जा रही है.. वो 
सिकुड़कर, ठिठुरकर
दोनों ही किनारों से 


दोनों ही किनारे 

सूखे है, प्यासे है 
पथरा सी गई है उनकी आँखे 
वस्ल की बरसात की राह तकते-तकते.
रेखाचित्र व कविता - रवीन्द्र भारद्वाज 

सोचता हूँ..

सोचता हूँ.. तुम होते यहाँ तो  बहार होती बेरुत भी  सोचता हूँ.. तुम्हारा होना , न होना  ज्यादा मायने नही रखता यार !  यादों का भी साथ बहुत होता...