प्रेम अनुभूति का विषय है..इसीलिए इसकी अभिव्यक्ति की जरूरत सबको महसूस होती है.. अतः,अपनी मौलिक कविताओं व रेखाचित्रो के माध्यम से, इसे अभिव्यक्त करने की कोशिश कर रहा हू मैं यहाँ.
शनिवार, 29 दिसंबर 2018
शुक्रवार, 28 दिसंबर 2018
चलता चल..!
Art by Ravindra Bhardvaj |
जलता चल !
मेरे-तेरे भाग्य का फैसला
करेगा वो ऊपर वाला ही !
तू अपनी ही मति से
नदी की गति सी बहा कर !
ठहरना
खरगोश को पड़ता है
कछुआ सा चाल
चलता चल..!
सूरज
सुबह का इन्तजार करता है
चाँद
रात का
इन्तजार करता रह
तुम्हारे उदय में अभी समय शेष है
चल
अपने गन्तव्य पर
चलता चल..!
- रवीन्द्र भारद्वाज
गुरुवार, 27 दिसंबर 2018
बुधवार, 26 दिसंबर 2018
मंगलवार, 25 दिसंबर 2018
सोमवार, 24 दिसंबर 2018
रविवार, 23 दिसंबर 2018
सदस्यता लें
संदेश (Atom)
सोचता हूँ..
सोचता हूँ.. तुम होते यहाँ तो बहार होती बेरुत भी सोचता हूँ.. तुम्हारा होना , न होना ज्यादा मायने नही रखता यार ! यादों का भी साथ बहुत होता...
-
कभी शिकायत थी तुमसे ऐ जिंदगी ! अब नही है... जीने का जुनून था कुछ कर गुजरना खून में था तकलीफ भी कम तकलीफ देती थी तब। अब अपने पराये को ताक ...
-
तेरे चुप रहने से मेरा मन संशय में रहता हैं होंठो पर जब नही खिंचती हँसी की लकीर सोचता हूँ कि कुछ तो गलत कर दिया हैं मैंने। मैं हमेशा तुम्ह...
-
मुझे बादलों के उस पार जाना है तुम चलोगी क्या ! साथ मेरे मुझे वहाँ आशियाँ बनाना है हाथ बटाओगी क्या ! मेरा वहाँ.. अगर चलती तो साथ मिलकर ब...