शुक्रवार, 28 दिसंबर 2018

चलता चल..!

Art by Ravindra Bhardvaj
तू अपनी लौ में 
जलता चल !

मेरे-तेरे भाग्य का फैसला 

करेगा वो ऊपर वाला ही !

तू अपनी ही मति से 

नदी की गति  सी बहा कर !

ठहरना 
खरगोश को पड़ता है 
कछुआ सा चाल 
चलता चल..!

सूरज 

सुबह का इन्तजार करता है 
चाँद 
रात का 

इन्तजार करता रह 

तुम्हारे उदय में अभी समय शेष है 
चल 
अपने गन्तव्य पर 
चलता चल..!
- रवीन्द्र भारद्वाज


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

सोचता हूँ..

सोचता हूँ.. तुम होते यहाँ तो  बहार होती बेरुत भी  सोचता हूँ.. तुम्हारा होना , न होना  ज्यादा मायने नही रखता यार !  यादों का भी साथ बहुत होता...