Art by Ravindra Bhardvaj |
जलता चल !
मेरे-तेरे भाग्य का फैसला
करेगा वो ऊपर वाला ही !
तू अपनी ही मति से
नदी की गति सी बहा कर !
ठहरना
खरगोश को पड़ता है
कछुआ सा चाल
चलता चल..!
सूरज
सुबह का इन्तजार करता है
चाँद
रात का
इन्तजार करता रह
तुम्हारे उदय में अभी समय शेष है
चल
अपने गन्तव्य पर
चलता चल..!
- रवीन्द्र भारद्वाज
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें