बुधवार, 19 दिसंबर 2018

मैं नही चाहता


Art by Ravindra Bhardvaj
वो मेरे पास आई 
शर्माते हुए 

मुझसे बात करने की कोशिश की 
और कामयाब भी रही 

उसके लिए बहुत मुश्किल है 
मुझसे प्रेम करना 

क्योंकि
मैं नही चाहता 
प्रणय-संबंध उससे रखना.
- रवीन्द्र भारद्वाज 

मंगलवार, 18 दिसंबर 2018

उनदिनों हँसती भी थी तुम खूब

अब देखकर तुमको 
यकीन नही होता 
कि तुम वही हो 
जो मुझपे मरती थी कभी 

गालो पर 
हल्का सा गढ्ढा 
बनता था 
उनदिनों हँसती भी थी तुम खूब 

हवा में उड़-उड़ जाती थी 
रेशम की वो गुलाबी ओढ़नी
जिसे महीने में दो-एक बार लगाती थी तुम 

जिस किसीदिन 
मैं तुम्हारा पीछा करता 
मुझसे पीछा छुड़ाने के लिए 
साईकिल का पैन्डील तेज मारती 
तब तुम सातवे आसमान पर पहुँचना चाहती थी न !
- रवीन्द्र भारद्वाज 

सोमवार, 17 दिसंबर 2018

ठहर जाओ

मेरी नजर में, तू है 
तेरी नजर में, मैं 

अब जाना कहां..
भूलता जा रहा हूँ मैं यह 

शाम ढलने को है 
डर लग रहा है 
फिरसे तन्हा होनेवाला हूँ मैं.

एकबारगी 
ठहर जाओ 
मेरे घर 
घर का कोना-कोना 
हँसने लगेगा 
चल चलो न अपने घर 
- रवीन्द्र भारद्वाज 

रविवार, 16 दिसंबर 2018

मुस्कुराओ कि..

Art by Ravindra Bhardvaj
मुस्कुराओ कि
हर गम बोझ सा उतर जाये

रुत बसंत का 
फिरसे आ जाये

लम्बी जुदाई के बाद 
वस्ल की आरजू काश ! आज ही पूरी हो जाये..


सुनाओ कि
झिझक न लगे 
कोई बात कहने में..

रोयेंगे हम आज साथ-साथ 
बहाना निकल ही आयेगा 
कोई न कोई 
अफ़सोस का

ख़ुशी के आंसू भी बहेंगे 
जीवन से गहरे असंतोष के बाद 
तुमसे फिरसे मिलने पर. 
- रवीन्द्र भारद्वाज 

शनिवार, 15 दिसंबर 2018

तू अबभी है मेरे जेहन में

धूप में 
बिखरे बाल 

हाथ में 
रुमाल 

तू अबभी मेरे जेहन में है 
प्रेयसी सरीखी 

लेकिन मैं नही हू 
तुम्हारे नजर में 
एक अच्छा, सच्चा प्रेमी.
- रवीन्द्र भारद्वाज 

शुक्रवार, 14 दिसंबर 2018

वो बहुत दूर निकल चुकी है मुझसे

ऐ रात ! 
तू छिपा ले 
मेरी हरेक कुटिलता.

ऐ दिन !

दिखा दे तू सबको आईना
मेरे अथक परिश्रम का.

ऐ समय !

अब ना रुक 
वो बहुत दूर निकल चुकी है मुझसे.

ऐ कविता !

उसे मुक्त कर
जो बसा रहता है 
मुझसे 
तुममे.
- रवीन्द्र भारद्वाज 

गुरुवार, 13 दिसंबर 2018

सोचता हूँ..

सोचता हूँ.. तुम होते यहाँ तो  बहार होती बेरुत भी  सोचता हूँ.. तुम्हारा होना , न होना  ज्यादा मायने नही रखता यार !  यादों का भी साथ बहुत होता...