Art by Ravindra Bhardvaj |
हर गम बोझ सा उतर जाये
रुत बसंत का
फिरसे आ जाये
लम्बी जुदाई के बाद
वस्ल की आरजू काश ! आज ही पूरी हो जाये..
सुनाओ कि
झिझक न लगे
कोई बात कहने में..
रोयेंगे हम आज साथ-साथ
बहाना निकल ही आयेगा
कोई न कोई
अफ़सोस का
ख़ुशी के आंसू भी बहेंगे
जीवन से गहरे असंतोष के बाद
तुमसे फिरसे मिलने पर.
- रवीन्द्र भारद्वाज
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