रविवार, 16 जून 2019

तुम याद आयी

तुम याद आयी यू कि
बरखा से पहले बौछार आये

तुम इस तरह से बरसी 
कि भीगा-भीगा तन जलने लगा 

प्रीत जो भुलाई थी उसकी लपटों से 
मैं पिघलने लगा मोम सा

अब कैसे लौटू तेरी तरफ 
मान लो मैं किसी पिजड़े में हूँ 
और चाबी डुबो दी गई है समुद्र में

रेखाचित्र व कविता - रवीन्द्र भारद्वाज

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