बुधवार, 12 सितंबर 2018

एकदिन

Art by Ravindra Bhardvaj
एकदिन तो ऐसा आयेगा
तुम मेरी बाहो मे होंगी..

और सारी दुनियादारी तुम्हारी
बिखरी पड़ी होगी कही..
कविता व रेखाचित्र - रवीन्द्र भारद्वाज

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