बुधवार, 21 नवंबर 2018

वो मसीहा था


जो तुम्हे छोड़ दिया 
वो मसीहा था 

जो तुम्हारे साथ है 
वो नसीब है 

जो तुम्हारे करीब है 
वो गरीब है 

जो तुम्हारे साथ-साथ चलता है 
वो एहसास है 

वो कुछ नही है 
जिसे बहुत कुछ मान लिया है तुमने.
रेखाचित्र व कविता - रवीन्द्र भारद्वाज

मंगलवार, 20 नवंबर 2018

तीन बन्दर


मेरा उसका कुछ-कुछ चल रहा था
मान लो प्यार-मोहब्बत जैसा
हम निगाहों से बाते करते थे
और बातो से मुलाकाते

हम एक-दुसरे के बहुत ही करीब थे
पर ना जाने किसकी नजर लगी
हम एकायक दूर होने लगे

एकदिन मुड़कर पीछे देखे
गौर से उसे
लगा-
मैंने तो खो दिया है उसे

वो नायाब थी
और बहुत कुछ हो गई थी मेरी
मान लो जिन्दगी की पर्याय बन चुकी थी मेरी

और मैंने गौर किया
वो बदल चुकी है
इतना
जितना मौसम बदल जाता है..

वो किसी गैर नही
मेरे अपने के तरफ मुड़ चुकी थी
या यु कहे वो जुड़ना चाहती थी उससे

मैंने भी मन बना लिया था कि
उसे रोकूंगा नही
जुड़ने से

पर हरबार मुझे देखकर जाती थी वो
मेरे अपने के पास
सो एक टिस सी हो ही जाती थी सीने में

और
धीरे-धीरे मुझे जलन भी होने लगा था
बेतहाशा
बेहिसाब

और मै किसीसे कुछ कह भी नही सकता था
ना उससे
ना मेरे अपने से

मेरा अपना
फिरभी जानता था
मै क्यू ऐसा होता जा रहा हू

मै खुश रहू
खुश दिखू
इस कोशिश में
उसने उससे बैर लिया
या यु कहे उसने उससे मुँह फेर लिया

फिर तो वही होना था
जो हमेशा से होता आया है
आप सोच रहे होंगे क्या !

ना प्यार रहा
मेरे हक में
ना यार रहा
मेरा सच्चा !

उसे बुरा बना दी
पलभर में

फिर क्या हुआ
तीन बन्दर
बुरा मत कहो
बुरा मत सुनो
बुरा मत देखो वाले

भूल गये
गांधीजी का यह वाक्य.
रेखाचित्र व कविता - रवीन्द्र भारद्वाज 


सोमवार, 19 नवंबर 2018

काश !


काश !
रातें तेरी
मेरी बाहों में कटती

मैं जुल्फों में
ऊँगली फेरता तेरे

माथे को चूमता
प्यार जताने को तेरे

तुम्हे कविता सुनाता
सुनकर
काश ! तुमको प्यार आता बहुत मुझपर
रेखाचित्र व कविता - रवीन्द्र भारद्वाज 

रविवार, 18 नवंबर 2018

हम साथ है तुम्हारे !


यार !
हम साथ है 
तुम्हारे 

चाहे कितनी भी मुश्किलें क्यू ना हो 
सामने 

हम साथ-साथ लड़ेंगे 
और आगे बढ़ेगे.. 

लोगो के लिए ना सही 
पर एक-दुसरे के लिए 
हम बढ़ते चलेंगे 
मुश्किलों और मुसीबतों के आंधी को चिरते हुए..
रेखाचित्र व कविता - रवीन्द्र भारद्वाज 

शुक्रवार, 16 नवंबर 2018

कसम से


कहीं से पुकार लो
व्याकुल है ये नैना
तेरी आवाज़ का चेहरा देखने को

फिर कहीं दिखो तो
पास बुला
'कैसे हो' पूछना ना भूलना

यादो से गजब का नाता है
अगर वो रुलायी अभी
तो अगले ही पल हसाँ देगी

कुछ ऐसे ही नाता
तुमसे है
कसम से
मैं नही जी पाया
तुमको खुदसे अलग करके

कसम से..
रेखाचित्र व कविता -रवींद्र भारद्वाज

गुरुवार, 15 नवंबर 2018

हमे मिलना ही था !


हम मुद्दत बाद मिले 
बस इसलिए कि
हमे मिलना ही था 

कही ना कही प्यार 
तुम्हारे ह्दय में भी था 
मेरे लिए 
कम से कम एक कटोरे दूध जितना 

लाओ पिला दो 
इश्क 
उतना ही 
कि होश ना रहे हमे 
कम से कम इक उम्र तक.
रेखाचित्र व कविता - रवीन्द्र भारद्वाज 

बुधवार, 14 नवंबर 2018

Stop !


Stop !
I wanna ask something..
Something like favour of you
Please show mercy at me
Please

Don't go ahead
Leaving me alone
Because I love you.. very much
And without your attention
I can't live peacefully

So..
Stop !

Please hug me
I am very lonely
You know this
Betterly..
Sketch and Poetry - Ravindra Bhardvaj 

सोचता हूँ..

सोचता हूँ.. तुम होते यहाँ तो  बहार होती बेरुत भी  सोचता हूँ.. तुम्हारा होना , न होना  ज्यादा मायने नही रखता यार !  यादों का भी साथ बहुत होता...