रविवार, 7 अक्तूबर 2018

एक बगीचा

Art by Ravindra Bhardvaj




















ये टेड़ी-मेडी पगडंडी 

लहराते हुए फसलो के बीच से 
जाती है 
तेरे घर के आस-पास 


तेरे घर से थोड़ी दूर पर 
एक बगीचा है 


जब नही दिखती हो तुम 
खड़ी, अपनी खिड़की पर तो 
यहाँ आकर छहाँने लगते है..
रेखाचित्र व कविता - रवीन्द्र भारद्वाज





शनिवार, 6 अक्तूबर 2018

" A Question !"




There was a question that
Will we meet in future

Future is the sky
Expanding in eternal

Future is the kite
When He or other cut the string

Future is the fire
In it everything will be destroy

So, that was great question..
  Sketch and Poetry - Ravindra Bhardvaj


















शुक्रवार, 5 अक्तूबर 2018

इस रात की सुबह




इस रात की सुबह होगी
शायद बहुत खुबसुरत

             बारिश की हल्की-हल्की बौछारे है
             और झीनी-झीनी तेरी यादे
             जो धीमे-धीमे आ रही है..
      कविता व रेखाचित्र  - रवीन्द्र भारद्वाज

एक नदी

            एक नदी
            जो मुझमे बहती थी 

        अब 
            मुझमे से मुड़कर 
            कही और बह निकली..
       कविता व रेखाचित्र - रवीन्द्र भारद्वाज 

मंगलवार, 2 अक्तूबर 2018

'Good Bye'

       

I never forget you
But why
I don't know

Perhaps
I knew that
You were always special for me..


2.
But today
You live with me
Being a think only
So
'Good bye'
I am saying to you silently

Ever
You will say 'Good Bye'
Very silently...
Sketch and Poetry - Ravindra Bhardvaj 

सोमवार, 1 अक्तूबर 2018

तुमसे मिलकर

Art by Ravindra Bhardvaj
तुमसे मिलकर
पुरे से लगने लगते है हम

हम प्रेम की पाती पढ़ते है
जब आ जाते है घर

और हम गीत सुनते है
खयाम का संगीतबद्ध
तेरी अनुपस्थिति में.
कविता व रेखाचित्र - रवीन्द्र भारद्वाज

मंजिल

Art by Ravindra Bhardvaj
कहाँ जाना है
कहाँ ठिकाना है
पता नहीं

पता होता तो
बताता जरुर..

क्योंकि जितनी जल्दी तुमको है
मेरी मंजिल तक पहुचने का
उससे कई गुना जल्दी मुझे है
मंजिल पर पहुचकर
तुमसे मिलने का
कविता व चित्र - रवीन्द्र भारद्वाज

सोचता हूँ..

सोचता हूँ.. तुम होते यहाँ तो  बहार होती बेरुत भी  सोचता हूँ.. तुम्हारा होना , न होना  ज्यादा मायने नही रखता यार !  यादों का भी साथ बहुत होता...