बुधवार, 31 अक्टूबर 2018

बेवजह



तू चली गई

बेवजह

क्या बेवजह मिले थे हम

नही न

तो फिर
क्यों तोड़ दिया
बरसों पुराना रिश्ता
अचानक
रेखाचित्र व कविता - रवीन्द्र भारद्वाज 

मंगलवार, 30 अक्टूबर 2018

अब



अब शिकवा नही
       शिकायत नही

अब आरजू नही
       चाहत नही

अब अपने नही
       बेगाने नही

जिसदिन से तुम चले गये
मेरा घर छोड़कर..

कोई जाना-पहचाना नही मेरा.
रेखाचित्र व कविता - रवीन्द्र भारद्वाज

सोमवार, 29 अक्टूबर 2018

' जहाँ तुम हो, वहाँ मै'

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'मेरे हिस्से की आग'

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प्यार करो!


1.
प्यार से बाते करो..

प्यार की दो बाते करो..


और
काम करो
आराम करो..


2.
प्यार करो
कि
प्यार में
क्या लाभ
क्या हानि

भूलकर लाभ-हानि
यह व्यापार करो

प्यार करो
बस प्यार से प्यार करो..
रेखाचित्र व कविता- रवीन्द्र भारद्वाज

रविवार, 28 अक्टूबर 2018

मेरी प्रेरणा !


हाथ छूटे
साथ छूटे
छुट गया घर-बार

तुम ना मिले
जग ना मिला
मिला ना सहानुभूति किसीका
भटकते रहे जीवन भर निरर्थक


जब कभी याद की बौछार आयी
गिले लेटे रहे
सारी रात

जबभी पुकारा किसी अजनबी ने
कही से
मै समझा वो तुम हो
मेरी प्रेरणा !
रेखाचित्र व कविता - रवीन्द्र भारद्वाज 

मंगलवार, 23 अक्टूबर 2018

एकबार और..



एकबार और
वध होगा
रावण का

असली रावण का नहीं
पुतालावाले रावण का, दहन होगा

हमारे घर में भी एक रावण है
तुम्हारे घर में भी एक रावण है

फिरभी उनके घर के रावण का वध
दहन का उत्सव होगा आज...
 - रवीन्द्र भारद्वाज 

सोचता हूँ..

सोचता हूँ.. तुम होते यहाँ तो  बहार होती बेरुत भी  सोचता हूँ.. तुम्हारा होना , न होना  ज्यादा मायने नही रखता यार !  यादों का भी साथ बहुत होता...