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गुरुवार, 11 अक्टूबर 2018

कहाँ ढूंढू उसे

Art by Ravindra Bhardvaj















कहाँ ढूंढू उसे
जो जानबुझकर छोड़ गया मुझे
अकेला

अकेले मै ठीक हू

पर उसकी यादो का मेरे साथ होना
अफ़सोस दिलाता रहता है मुझको
हमेशा.
रेखाचित्र व कविता - रवीन्द्र भारद्वाज

सोचता हूँ..

सोचता हूँ.. तुम होते यहाँ तो  बहार होती बेरुत भी  सोचता हूँ.. तुम्हारा होना , न होना  ज्यादा मायने नही रखता यार !  यादों का भी साथ बहुत होता...