कभी शिकायत थी तुमसे
ऐ जिंदगी !
अब नही है...
जीने का जुनून था
कुछ कर गुजरना खून में था
तकलीफ भी कम तकलीफ देती थी
तब।
अब
अपने पराये को
ताक पर रखकर जीते हैं
जबसे
डसा हैं
तुमनें
अपना भी बनाकर
और पराया भी बनाकर...
कभी प्रणय भी था
ऐ जिंदगी !
तुमसे।
- रवीन्द्र भारद्वाज
आभार दी 🙏 आपका
जवाब देंहटाएंमन के एहसासों को बयां करती सुंदर कृति ।
जवाब देंहटाएंआभार आपका🙏 सादर
हटाएंबहुत सुंदर रचना।
जवाब देंहटाएंमन के अहसासों को बयान करती पंक्तियाँ...
जवाब देंहटाएंबहुत ही मार्मिक और हृदयस्पर्शि रचना!
जवाब देंहटाएंएक एक पंक्ति दर्द को बयां कर रहीं हैं...!