शुक्रवार, 6 मार्च 2020

किसीका इंतजार करना

तेरे संग जो पल गुजरा 
वो कैद है अबभी
इस दिल मे 

इस दिल मे 
अबभी बजती है शहनाई
तुम्हारे प्रीत की 

हाँ, तुम लौटे नही फिर 
वरना एहसास तुमको भी हो जाता
कि काँटो पर चलने जैसा होता है 
किसीका इंतजार करना।

-- रवीन्द्र भारद्वाज --

सोचता हूँ..

सोचता हूँ.. तुम होते यहाँ तो  बहार होती बेरुत भी  सोचता हूँ.. तुम्हारा होना , न होना  ज्यादा मायने नही रखता यार !  यादों का भी साथ बहुत होता...