वो और बात थी
जब तुम थी यहाँपर
यहाँ पर
हरियाली थी
धूप था
और मन्द-मन्द बहता पवन था
कसमे थी
वादे थे
और ना थकने वाला इरादा था
तुमको लेकर
यहाँपर शोर था
शरारत थी
और कभी न खत्म होनेवाली बातचीत थी
हमारे-तुम्हारे बीच
वो और बात थी
जब तुम थी यहाँपर
- रवीन्द्र भारद्वाज