राग

प्रेम अनुभूति का विषय है..इसीलिए इसकी अभिव्यक्ति की जरूरत सबको महसूस होती है.. अतः,अपनी मौलिक कविताओं व रेखाचित्रो के माध्यम से, इसे अभिव्यक्त करने की कोशिश कर रहा हू मैं यहाँ.

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रविवार, 20 अक्टूबर 2019

नदियाँ सबकी होती है

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  एक नदी जो मेरे लिए ही बहती थी निर्वाण के रास्ते पर चल दी है  जबकि नदियाँ सबकी होती है  और किसीकी भी नही होती है  उसका मे...
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मेरे हाथ मे तेरा हाथ था

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मेरे हाथ मे तेरा हाथ था फिर अचानक से क्यों छुड़ा लिया हाथ तुमने तुम क्यों बदलने लगी  हद से ज्यादा मैं पर्वत से कूदा था एकमा...
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मंगलवार, 15 अक्टूबर 2019

तुम्हें पा लेते तो क्या होता !

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तुम्हें पा लेते तो क्या होता ! शायद खोना पड़ता  तुम्हें एकदिन तुम्हें नही पा सके तो  क्या हुआ ! कम से कम  खोने की नौबत तो...
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तुम्हे मतलब नही

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तुम्हे मतलब नही  किसीभी चीज से  मैं जीऊ या मरू इस बात से भी नही  खैर, इतना निर्दयी कसाई भी नही हुआ है  मेरे चौक का  जितना तु...
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शुक्रवार, 11 अक्टूबर 2019

वह नदी

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जो नदी बह के आगे निकल गई  नही लौटेगी  अब  जो गुफ़्तगू मायने समझाता फिरता था हरेक ख्यालात का  किस्सा-कहानी सा लगता है अब वो  ...
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मंगलवार, 1 अक्टूबर 2019

तुम कुछ कहती तो

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तुम आती तो एक बात होती मैं बुलाता तो  दूसरी तुम कुछ कहती तो  एक बात के सौ मतलब निकलते मैं कुछ कहू तो  निर्रथक - ...
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शनिवार, 28 सितंबर 2019

उसने कहा था

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वह मुझसे अब बोलती नही राज़ को राज़ रखती है  भूले से भी, राज़ को खोलती नही  उसने कहा था -  हम तुमसे बेहद प्यार करते है  करती...
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रवीन्द्र भारद्वाज
काव्य-सृजन, चित्रांकन, अध्यापन
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