मेरे हाथ मे तेरा हाथ था
फिर अचानक से क्यों छुड़ा लिया हाथ तुमने
तुम क्यों बदलने लगी
हद से ज्यादा
मैं पर्वत से कूदा था
एकमात्र
तुम तक पहुंचने के लिए
लेकिन
अफसोस होता है
क्यों कूदा
नाहक ही।
तेरे मेरे प्यार की कुंडली नही मिलती अब क्यो
पहले तो ज्यादा गुणों से मिलता था न।
~ रवीन्द्र भारद्वाज
पर्वत से कूदने की लोई आवश्यकता नहीं है मित्र !
जवाब देंहटाएंउसकी याद में एक गीत लिखो, एक चित्र बनाओ,
वो फिर आकर तुम्हारा हाथ थाम लेगी.
बहुत सुंदर प्रस्तुति
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