राग

प्रेम अनुभूति का विषय है..इसीलिए इसकी अभिव्यक्ति की जरूरत सबको महसूस होती है.. अतः,अपनी मौलिक कविताओं व रेखाचित्रो के माध्यम से, इसे अभिव्यक्त करने की कोशिश कर रहा हू मैं यहाँ.

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शनिवार, 17 सितंबर 2022

सोचता हूँ..

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सोचता हूँ.. तुम होते यहाँ तो  बहार होती बेरुत भी  सोचता हूँ.. तुम्हारा होना , न होना  ज्यादा मायने नही रखता यार !  यादों का भी साथ बहुत होता...
शनिवार, 8 जनवरी 2022

जी रहा हूँ

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सघन जंगल की तन्हाई समेटकर अपनी बाहों में  जी रहा हूँ  कभी उनसे भेंट होंगी  और तसल्ली के कुछ वक्त होंगे  उनके पास  यही सोचकर  जी रहा हूँ  जी ...
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बुधवार, 22 दिसंबर 2021

प्यार क्या है !

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तुमसे  मिलकर बिछड़कर जाना  प्यार क्या है ! प्यार  एक हवा का झोंका हैं  जो आता है और चला जाता हैं  पलक झपकते - रवीन्द्र भारद्वाज
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गुरुवार, 16 दिसंबर 2021

वृद्ध आदमी और नदी

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 वृद्ध आदमी  अपना अतीत देखता है  पानी की रवानी संग  बहता हुआ  दरअसल अपने लंगोटिया यारों को  यही फूक-तापकर  अस्थियां  बहाई थी उसने कभी  इसी प...
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ऐ जिंदगी !

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कभी शिकायत थी तुमसे ऐ जिंदगी ! अब नही है... जीने का जुनून था  कुछ कर गुजरना खून में था तकलीफ भी कम तकलीफ देती थी  तब। अब अपने पराये को  ताक ...
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शनिवार, 23 अक्टूबर 2021

तुम चलोगी क्या !

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  मुझे बादलों के उस पार जाना है  तुम चलोगी क्या  ! साथ मेरे मुझे वहाँ आशियाँ बनाना है  हाथ बटाओगी क्या ! मेरा वहाँ.. अगर चलती तो साथ मिलकर ब...
सोमवार, 20 सितंबर 2021

मैं हमेशा तुम्हें खुश देखना चाहता हूँ

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 तेरे चुप रहने से मेरा मन संशय में रहता हैं होंठो पर  जब नही खिंचती हँसी की लकीर सोचता हूँ  कि कुछ तो गलत कर दिया हैं मैंने। मैं हमेशा तुम्ह...
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रवीन्द्र भारद्वाज
काव्य-सृजन, चित्रांकन, अध्यापन
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