राग

प्रेम अनुभूति का विषय है..इसीलिए इसकी अभिव्यक्ति की जरूरत सबको महसूस होती है.. अतः,अपनी मौलिक कविताओं व रेखाचित्रो के माध्यम से, इसे अभिव्यक्त करने की कोशिश कर रहा हू मैं यहाँ.

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सोमवार, 20 सितंबर 2021

मैं हमेशा तुम्हें खुश देखना चाहता हूँ

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 तेरे चुप रहने से मेरा मन संशय में रहता हैं होंठो पर  जब नही खिंचती हँसी की लकीर सोचता हूँ  कि कुछ तो गलत कर दिया हैं मैंने। मैं हमेशा तुम्ह...
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शुक्रवार, 10 सितंबर 2021

सुबह और कली

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  सुबह  मेरी खिड़की की पल्लों पर  ठहरी हैं  कि कब खोलूंगा मैं खिड़की  कली  बाँहें अपनी खोल, खड़ी है कि कब समाउंगा मैं  उसमें। _रवीन्द्र भारद्वा...
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रविवार, 29 अगस्त 2021

तुम मेरे हो...

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तुमसे गुफ़्तगू करके लगता है  मैं जन्नत में हूँ  बरसो की माँगी दुआ  जैसे  आज ही  मेरे कदमों में हो। तुम खुशबू की तरह आती हो  मेरे फेफड़े में  औ...
गुरुवार, 26 अगस्त 2021

एक समझौता

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  चलो  खुदसे एक समझौता करते है मुझे नींद आ जाये  कुछ ऐसा करते है  जो कुछ मुझे सताता है तुम्हें नही  उससे तौबा करते है ! गली, नुक्क्ड़ पर   बा...
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शनिवार, 21 अगस्त 2021

तेरे मेरे प्रेम की धरातल

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तेरे मेरे प्रेम की धरातल ऊबड़-खाबड़ है बड़ी  चलना  इसपर दुर्गम जान पड़ता है एक पर्वतारोही की तरह  सदियों के सफर के बाद भी  आराम नही मिला है अभीत...
शनिवार, 14 अगस्त 2021

घर, प्रेम और तुम

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तुम्हारे प्रेम के बूते  मेरा घर खड़ा  हुआ है तुम्हारे संस्कार से  सजा है  कमरे मे  हर चीज करीने से। तुम जबतक नही आयी थी  जंगल की तन्हाई एवं ए...
गुरुवार, 12 अगस्त 2021

मुझे तुमसे कुछ कहना है..

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मुझे तुमसे कुछ कहना है .. रात के तन्हाई में  या फिर साँझ के अंगड़ाई लेते समय  उठते-गिरते लहरों से  बातें है  मन व मस्तिष्क में। कि.. मैंने तु...
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रवीन्द्र भारद्वाज
काव्य-सृजन, चित्रांकन, अध्यापन
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