राग

प्रेम अनुभूति का विषय है..इसीलिए इसकी अभिव्यक्ति की जरूरत सबको महसूस होती है.. अतः,अपनी मौलिक कविताओं व रेखाचित्रो के माध्यम से, इसे अभिव्यक्त करने की कोशिश कर रहा हू मैं यहाँ.

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बुधवार, 28 अगस्त 2019

एक तेरे न होने से साथ मेरे

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तुम मुझे नही भूले तो  हम तुम्हे भी नही भूले  भूलना  कब्र पर मिट्टी डालने जैसा होता है  तुम्हारी यादों से सुबह होती है मेरी  ...
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सोमवार, 26 अगस्त 2019

तुम एक रूठी नदी हो

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मुझपे जो बीती उससे तुमको क्या ! दरअसल, कतिपय सह्दयता भी नही तुम्हारे अंदर  तुम एक रूठी नदी हो  जो यह बतलाती फिरती है- मेरा क...
शुक्रवार, 23 अगस्त 2019

कन्हैया ! तुम भूले राधा को !

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कन्हैया ! तुम भूले राधा को ! लेकिन  राधा  तुम्हे अबभी याद करती है  उसने पीर समझी  अपनी  तुम्हरी सिर्फ इसलिए तुम्हे माफ क...
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बुधवार, 21 अगस्त 2019

दो राहें पर मिले हम।

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दो राहें पर मिले हम। हम अब कुछ कह नही सकते  लेकिन बहुत कुछ सह सकते है  सह भी चुके है  न आगे जाने की जिद है  न पीछे मुड़ जान...
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मंगलवार, 20 अगस्त 2019

तू मेरा नही तो क्या

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तू मेरा नही तो क्या  मेरा हुआ करता था तू भी कभी  कभी मेरे बाजुओं में दम तोड़ने की आरजू थी तुम्हारी नदी सरीखी बहने का इरादा था त...
शुक्रवार, 16 अगस्त 2019

त्रिकोणीय प्रेम

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आग इस दिल मे लगी है तो उस दिल मे क्यों नही ! प्यार मुझे है तो तुम्हे क्यों नही ! त्रिकोणीय प्रेम  अवसादग्रस्त कर देता है  ...
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बुधवार, 14 अगस्त 2019

धरती

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वो  खुदही तपेगी  भीजेंगी ठिठुरेगी  लेकिन किसी से कुछ कहेगी नही  ओरहन जैसे  वो  सहनशीलता की पर्याय है वो  हमारे जीव...
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रवीन्द्र भारद्वाज
काव्य-सृजन, चित्रांकन, अध्यापन
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