शुक्रवार, 16 अगस्त 2019

त्रिकोणीय प्रेम

आग इस दिल मे लगी है तो उस दिल मे क्यों नही !

प्यार मुझे है तो तुम्हे क्यों नही !


त्रिकोणीय प्रेम 
अवसादग्रस्त कर देता है 

हम जैसे मिलते है छुपते-छुपाते 
एक-दूसरे-तीसरे से 
सुकून को भरने नही देता 
हमारे अंदर

कविता - रवीन्द्र भारद्वाज

चित्र - गूगल से साभार



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