राग

प्रेम अनुभूति का विषय है..इसीलिए इसकी अभिव्यक्ति की जरूरत सबको महसूस होती है.. अतः,अपनी मौलिक कविताओं व रेखाचित्रो के माध्यम से, इसे अभिव्यक्त करने की कोशिश कर रहा हू मैं यहाँ.

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रविवार, 31 मार्च 2019

मेरी तरह वो भी

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घर सुनसान हो जाता हैं  जब बच्चें अपने पढने चले जाते हैं  उनके जाते ही  घर के कोने-अतरे में जाकर छिप जाती हैं  चंचलता  मेरी...
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शुक्रवार, 29 मार्च 2019

एक आँसू की कीमत तुम क्या जानों !

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एक आँसू की कीमत तुम क्या जानों ! जब दर्द सम्हालें नही सम्हलता हैं तो आ ही जाता हैं आँसू बाहर बाहर आकर भी आंसू   अग...
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सबका हश्र बुरा होता हैं प्यार में

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तिनका जितना  रखना  ग़वारा न समझा  उसने  मुझे  अपनी जिन्दगी में  जानता हूँ  सबका हश्र बुरा होता हैं  प्यार में  मेरा भ...
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गुरुवार, 28 मार्च 2019

अब सबकुछ रफूचक्कर हो चुका हैं

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उसे  मुझसे ही प्यार था  भले न कह सकी वो  मुझसे  उसकी बातों में दम था  मैंने सोचकर सारी बातें  यही निष्कर्ष निकाला हैं  ...
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बुधवार, 27 मार्च 2019

मन्दिर नही जाना पड़ेगा

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जब घर में दुनिया समा जाये  तो वो घर, घर नही रह जाता  जब छोटे बोलने लगे बेहद  बुजुर्गो की बातें कौन सुने तब  रुत होता हैं रार...
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सोमवार, 25 मार्च 2019

नदियाँ अगर बची-खुची हैं तो

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नदियाँ अगर बची-खुची हैं तो  शवदाह के लिए .. नदियों के गर्भ में  जो मछलियाँ, केकड़े, झिंगें .. हैं  वो हमारे पेट में आने से पह...
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रविवार, 24 मार्च 2019

मुझे तुम्हारी बाहों में रहना था

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मुझे तुम्हारी बाहों में रहना था  मगर तुमने उचित ना समझा कभी  बाहों में लटकाए  पर्स की तरह  मुझे संग-संग अपने  घुमाना  एक...
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रवीन्द्र भारद्वाज
काव्य-सृजन, चित्रांकन, अध्यापन
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