शुक्रवार, 29 मार्च 2019

एक आँसू की कीमत तुम क्या जानों !

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एक आँसू की कीमत तुम क्या जानों !

जब दर्द सम्हालें नही सम्हलता हैं
तो आ ही जाता हैं
आँसू
बाहर

बाहर
आकर भी
आंसू 
अगर दर्द को न समझा पाये
अपना
अपनों को
तो बेकार ही समझों
हैं अपनों की संवेदना !

कविता – रवीन्द्र भारद्वाज

चित्र – गूगल से साभार

14 टिप्‍पणियां:

  1. फकत खाक में मिलने को बहा भी तो बहा क्या
    किसी की हथेली पर सजता मोती बन तो कोई बात।
    सुंदर।

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  2. सटीक ..सुन्दर... सार्थक रचना ।

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  3. आभार जी सादर
    इस रचना को "पांच लिंको के आनंद" में संकलित करने के लिए

    जवाब देंहटाएं