बुधवार, 27 मार्च 2019

मन्दिर नही जाना पड़ेगा

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जब घर में दुनिया समा जाये 
तो वो घर, घर नही रह जाता 

जब छोटे बोलने लगे बेहद 
बुजुर्गो की बातें कौन सुने तब 

रुत होता हैं रार, तकरार का 
हर बखत लड़ने-झगड़ने से हल नही निकलता कोई 

'गुरुदेव 'की मानों तो 
घर में बना लो अगर शांति तो 
मन्दिर नही जाना पड़ेगा 
सुबहो-शाम 

कविता - रवीन्द्र भारद्वाज

चित्र - गूगल से साभार 

14 टिप्‍पणियां:

  1. बिल्कुल सही कहा रविन्द्र जी कि यदि घर में शान्ति हो तो मंदिर जाने की जरूरत नहीं हैं।

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  2. "मुखरित मौन में" इस रचना को साझा करने के लिए
    जी सहृदय आभार आदरणीया

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  3. सटीक और सार्थक बातें ... गौर से सोचो तो कितना कुछ छुपा है इन छोटी बातों में ...

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