राग

प्रेम अनुभूति का विषय है..इसीलिए इसकी अभिव्यक्ति की जरूरत सबको महसूस होती है.. अतः,अपनी मौलिक कविताओं व रेखाचित्रो के माध्यम से, इसे अभिव्यक्त करने की कोशिश कर रहा हू मैं यहाँ.

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शुक्रवार, 30 नवंबर 2018

एकबार

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तुझसे गले मिलना था  कम से कम  एकबार  एकबार  एक-दुसरे के छाती से लगकर  सुनना था  धक-धक रेखाचित्र व कविता...
गुरुवार, 29 नवंबर 2018

ये दिल !

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जो  गुजरा  वो गुजरा नही . आजभी  उसका ख्याल  क्यूं बुनता है ये दिल ! ये दिल ! सम्भल जा ! अब आँखों ...
बुधवार, 28 नवंबर 2018

सुबह का इंतजार पूरा हुआ

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आज सुबह का इंतजार पूरा हुआ होठो पे हँसी है आँखों में चमक पत्तो पर ओस की जवानी है मोती सदृश्य मुर्गे का बाग़ है ग...
मंगलवार, 27 नवंबर 2018

मानांकि इश्क हमारा मूक है

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हम शिकवा करे कि शिकायत करे है जब तू रूबरू भूलके सब शिकवे-गिले क्यों ना हम प्यार करे ! ये भी मुमकिन है ...
सोमवार, 26 नवंबर 2018

हम हमारे रहे

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आज फिर तुम्हारा बाल खुला था जुल्फों में सघन जंगल का अंधेरा था मैं उनमे ही खुदको खो देना चाहता ...
शनिवार, 24 नवंबर 2018

बहुत हद तक मुमकिन है..

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तुम्हारे कदमों के निशान अब नही यहाँ यही तुम चले थे थिरकें थे लगभग नाँचे भी थे अब यहाँ बहुत गर्मी पड़ती है द...
शुक्रवार, 23 नवंबर 2018

नदी को कब रोंका था मैंने

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बदल जाना इतना तेरा  जितना इंसान नही बदलता नदी को कब रोका था मैंने वह बहती ही रही अनवरत पर मुझे अपने अंदर नही ...
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रवीन्द्र भारद्वाज
काव्य-सृजन, चित्रांकन, अध्यापन
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