शुक्रवार, 30 नवंबर 2018

एकबार

तुझसे गले मिलना था 
कम से कम 
एकबार 

एकबार 
एक-दुसरे के छाती से लगकर 
सुनना था 
धक-धक
रेखाचित्र व कविता - रवीन्द्र भारद्वाज 

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