मेरे हित की मत सोचो....मेरी जान !
तुम्हारा अगर हित हो तो मुझसे प्रेम जारी रखो....मेरी जान !
मेरी जान !
सरसों का जोबन देखो
और आम पर बौर
कितना रोमांचित कर रहे हैं
नजरो को हमारे
आधी रात में उठकर बरसात देखो...
सुनो राग मल्हार
..प्रेम की थाप पर....मेरी जान !
रेखाचित्र व कविता - रवीन्द्र भारद्वाज
नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी यह प्रस्तुति BLOG "पाँच लिंकों का आनंद"
( http://halchalwith5links.blogspot.in ) में
गुरुवार 14 फरवरी 2019 को प्रकाशनार्थ 1308 वें अंक में सम्मिलित की गयी है।
प्रातः 4 बजे के उपरान्त प्रकाशित अंक अवलोकनार्थ उपलब्ध होगा।
चर्चा में शामिल होने के लिए आप सादर आमंत्रित हैं, आइयेगा ज़रूर।
सधन्यवाद।
सहृदय आभार............आदरणीय
हटाएंइस रचना को "पाँच लिंकों का आनंद" में संकलित करने के लिए
बहुत खूब 👌
जवाब देंहटाएंजी बहुत-बहुत आभार ....आदरणीया
हटाएंवाह ¡¡
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर थोड़ी में बहुत कुछ कहता।
जी अत्यंत आभार...... आदरणीया
हटाएंरुमानी कविता... अच्छी लगी रवीन्द्र जी।
जवाब देंहटाएंजी बहुत-बहुत आभार...... आदरणीया
हटाएंवाह!!!
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति...
जी बहुत-बहुत आभार.... आदरणीया
हटाएंसरसों का जोबन देखो
जवाब देंहटाएंऔर आम पर बौर ...बहुत सुन्दर
सादर
जी बहुत-बहुत आभार..... आदरणीया
हटाएंबहुत ही सुन्दर प्रस्तुति :)
जवाब देंहटाएंआभार .......आदरणीय सादर
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