गुरुवार, 14 फ़रवरी 2019

अंदाजा लग जायेगां तुम्हें

मेरे प्यार के वादियों से 
गुजरों
किसीदिन 

अंदाजा लग जायेगां तुम्हें 
कि कितना प्यार करता था मैं 
तुमसे 

नजरें बिछाए रखी मैंने कालीन सी 
एक उम्र तक 

उस उम्र तक 
तुम आशना थे 
मैं आवारा 

रेखाचित्र व कविता - रवीन्द्र भारद्वाज

6 टिप्‍पणियां:

  1. क्या बात है आदरणीय रवीन्द्र जी। भूले नहीं भूलते वे दिन।

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    1. अत्यंत आभार...... आदरणीय
      सच में भूले नही भूलते वे दिन..

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