राग

प्रेम अनुभूति का विषय है..इसीलिए इसकी अभिव्यक्ति की जरूरत सबको महसूस होती है.. अतः,अपनी मौलिक कविताओं व रेखाचित्रो के माध्यम से, इसे अभिव्यक्त करने की कोशिश कर रहा हू मैं यहाँ.

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रविवार, 28 फ़रवरी 2021

भोर की ट्रेन से

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वो चली गयी  भोर की ट्रेन से  हँसते-हँसते इसबार उसे थोड़ा सा ही रोना आया  वरना  पहले रोती थी वो  सुबक-सुबक के  इसबार गम नही  खुशी लेकर गयी है ...
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मंगलवार, 23 फ़रवरी 2021

न जाने किसकी नजर लगी

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तुम मेरी थी  तब  जब हम झूठ नही बोला करते थे  साफ-सुथरी बातों पर तुम्हारे हम फिदा थे  लेकिन न जाने किसकी नजर लगी  हमारी दोस्ती को  कि तुम साज...
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शनिवार, 20 फ़रवरी 2021

तुम रूठे

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तुम रूठे  मेरा जग रूठ गया  मेरी दुनिया मे दरअसल, बहुत कम लोग है  इसलिए अपने आप मे, मैं टूट गया हमारे प्यार की पतंग  अनन्त आसमान में  निर्रथक...
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रविवार, 3 जनवरी 2021

जिसे दुआओं में माँगा

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जिसे दुआओं में माँगा वो मिला नही  खैर , छोड़ो , अब कोई गीला नही ! एक रास्ते पर वो चले थे  दूसरे पे हम  दरअसल, वो रास्ता ही कही मिला नही। - रव...
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बुधवार, 16 दिसंबर 2020

मुझे खुदपर तरस आता है

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मुझसे पूछो  कैसा हूँ  गैर तो गैर ठहरे  उन्हें क्यों बताऊ अपनी हालत  मुझे खुदपर तरस आता है कभी-कभी कि मैं खिंचा ही क्यों गया  अवचेतन होकर तुम...
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गुरुवार, 3 दिसंबर 2020

मान लो !

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 मान लो  दो आदमी और एक औरत थी  दोनो आदमी  उसी एक औरत पर आकर्षित थे  आकर्षण के विषय में जितना मुझे ज्ञान है  बताता हूँ - कुशलता और काबिलियत क...
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सोमवार, 30 नवंबर 2020

वो और बात थी

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वो और बात थी जब तुम थी यहाँपर यहाँ पर  हरियाली थी धूप था और मन्द-मन्द बहता पवन था कसमे थी  वादे थे  और ना थकने वाला इरादा था तुमको लेकर यहाँ...
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रवीन्द्र भारद्वाज
काव्य-सृजन, चित्रांकन, अध्यापन
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