गुरुवार, 3 दिसंबर 2020

मान लो !


 मान लो 

दो आदमी और एक औरत थी 


दोनो आदमी 

उसी एक औरत पर आकर्षित थे 


आकर्षण के विषय में

जितना मुझे ज्ञान है 

बताता हूँ

- कुशलता और काबिलियत के अनुसार 

उसने पहले को रिझाया

और दूसरे को जलन था 

कि वह पहले पर ही क्यों मरती है


सारे साधन व तरकीब दूसरे ने लगाया 

अन्ततः, दूसरा उस औरत को पाया 

उतना ही खुशमिजाज जितना पहले को मिली थी 

कभी


हकीकत में , मैं नही जान पाया आजतक 

कि वह पहले को मिली

या दूसरे को 

समर्पित होकर।


मान लो 

यह एक झूठी कहानी हो सकती है 

या फिर हकीकत भी 

मैं ठीक-ठीक नही बता पाउँगा।


- रवीन्द्र भारद्वाज


13 टिप्‍पणियां:

  1. प्रिय रवींद्र, प्रेम की अनकही कथाओं को कहना और अपरिभाषित प्रेम को अभिव्यक्त करना कोई आपसे सीखे। आपकी छोटी छोटी रचनाएँ अनायास मन बांध लेती है। हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं भावपूर्ण कथा काव्य चित्र के लिए🙏 💐

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    1. जी आपका टिप्पणी पढ़कर मन आनन्दित हो जाता है ..आपका आशीष और प्रेम सदा बना रहे ...
      ह्दयतल से आभार 🙏सादर

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  2. कुछ सुधार की जरूरत है
    जलन था ------+जलन थी
    दूसरे ने लगाया __---- दूसरे;ने लगाए

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    1. जी जरूर ...करेंगे
      त्रुटियों का ज्ञान कराने के लिए सह्दय आभार
      🙏🙏🏼🙏

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  3. जी अत्यंत आभार आपका 🙏 सादर

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  4. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शुक्रवार 06 अगस्त 2021 शाम 5.00 बजे साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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