राग

प्रेम अनुभूति का विषय है..इसीलिए इसकी अभिव्यक्ति की जरूरत सबको महसूस होती है.. अतः,अपनी मौलिक कविताओं व रेखाचित्रो के माध्यम से, इसे अभिव्यक्त करने की कोशिश कर रहा हू मैं यहाँ.

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शुक्रवार, 14 अगस्त 2020

शाम ढले

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शाम ढले  एक दिया जलता है  उस दिए को  देखकर एक उम्मीद जगती है  उस दिए की लौह की तरह ही मेरी प्रीत भी जलती होगी  कहीं पर ~ 🖋️ रवीन्द्र भारद्व...
रविवार, 24 मई 2020

तुम जो नही कहते

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जो तुम नही कहते  वही सुनता रहता हूँ  एक घायल ह्दय लेकर  तुमको ढूढ़ता फिरता हूँ  माना कि ये मर्ज लाइलाज है  मगर मयखाने लौटकर...
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शनिवार, 16 मई 2020

वो जहाँ भी रहे

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वो जहाँ भी रहे  खुश रहे  क्योंकि जबतक मैं उसके प्यार मे था  अंधेरे में भी उजाला नजर आता था  क्योंकि जबतक मुझे उसका इंतजा...
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शुक्रवार, 6 मार्च 2020

किसीका इंतजार करना

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तेरे संग जो पल गुजरा  वो कैद है अबभी इस दिल मे  इस दिल मे  अबभी बजती है शहनाई तुम्हारे प्रीत की  हाँ, तुम लौटे नही फिर  ...
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शनिवार, 1 फ़रवरी 2020

मुझे आश्चर्य होता है

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मुझे आश्चर्य होता है तुम्हारे चाँद से चेहरे को देखकर मुझे आश्चर्य होता है तुम जब परियों सरीखे बाल बनाती हो  मुझे आश्चर्य होत...
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बुधवार, 22 जनवरी 2020

हम तुमसे प्रेम जारी रख सकते है

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तुम्हारे गाँव से उड़ते आ रहे पंछी गोधूलि बेला मन को सहसा याद दिलाये कि तमाम पाबन्दियों के बावजूद हम तुमसे प्रेम जारी रख सकते है हम ...
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रविवार, 29 दिसंबर 2019

एकबार कहा होता

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एकबार कहा होता 'मुझे जाना है  तुम्हे छोड़कर..' तो मैं तुम्हे जाने देता  बड़े शौक से लेकिन  तुम तो बिना कुछ बताये...
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रवीन्द्र भारद्वाज
काव्य-सृजन, चित्रांकन, अध्यापन
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