शनिवार, 16 मई 2020

वो जहाँ भी रहे

वो जहाँ भी रहे 
खुश रहे 

क्योंकि
जबतक मैं उसके प्यार मे था 
अंधेरे में भी उजाला नजर आता था 

क्योंकि
जबतक मुझे उसका इंतजार था 
तबतक उम्मीद नजर आती था

क्योंकि
जबतक वो दहलीज़ों को लांघती रही 
कुछ कर गुजरने का जज्बा था 
इस दिल के अंदर

इस दिल के अंदर आखिर
उसके प्यार का समंदर 
मचलता था 

अनायास ही छलक भी जाता था 
उसके प्यार का समंदर

खैर, वो जहाँ भी रहे
खुश रहे

~ रवीन्द्र भारद्वाज


6 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज रविवार 17 मई 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. वो जहां भी रहे खुश रहे।

    बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति .. 💐💐

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  3. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शुक्रवार 06 अगस्त 2021 शाम 5.00 बजे साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  4. खैर, वो जहाँ भी रहे
    खुश रहे///////////
    दुआ ही प्रेम की अभिव्यक्ति का सबसे सुंदर सोपान है |

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