राग

प्रेम अनुभूति का विषय है..इसीलिए इसकी अभिव्यक्ति की जरूरत सबको महसूस होती है.. अतः,अपनी मौलिक कविताओं व रेखाचित्रो के माध्यम से, इसे अभिव्यक्त करने की कोशिश कर रहा हू मैं यहाँ.

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बुधवार, 27 मार्च 2019

मन्दिर नही जाना पड़ेगा

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जब घर में दुनिया समा जाये  तो वो घर, घर नही रह जाता  जब छोटे बोलने लगे बेहद  बुजुर्गो की बातें कौन सुने तब  रुत होता हैं रार...
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रवीन्द्र भारद्वाज
काव्य-सृजन, चित्रांकन, अध्यापन
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