बरसात की तरह होती है बातें
हमारी-तुम्हारी
जितनी बेफ़िक्री से ये दुनिया चलती है
उतनी ही बेफ़िक्री से हम चलते है
तुम अपने रास्ते
मै अपने रास्ते
लेकिन मिलते ही अचानक से
बरसात की तरह होती है बातें
हमारी-तुम्हारी
कविता - रवीन्द्र भारद्वाज
चित्र - गूगल से साभार
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