काश ! तू मेरा होता
मैं जमाने को यह कहकर छोड़ती कि
मुझे अब किसी और की जरूरत नही।
तेरे साथ जीती-मरती
तेरे बाजुओं में दम तोड़ती
काश ! मेरे प्यार पर तनिक भी तुमको भरोसा होता
मैं लड़-झगड़ लेती सबसे
सबसे बैर लेकर भी
खुश रहती
तेरे साथ
काश ! तू मेरा हमराही होता।
रेखाचित्र व कविता - रवीन्द्र भारद्वाज
सुन्दर भावों को बखूबी शब्द जिस खूबसूरती से तराशा है। काबिले तारीफ है।
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