किसी उम्मीद की उंगली पकड़कर चलता हूँ
तेरे साथ-साथ
जबकि साथ मुकम्मल भी नही है
फिरभी
फिरभी
तेरी हरेक बेपरवाही का परवाह करता हूँ
यार ! तू तो भूल गया होगा मुझसे पहले
मेरे प्यार को
लेकिन आजभी मैं तुम्हें प्यार से ही, प्यार करता हूँ।
कविता - रवीन्द्र भारद्वाज
चित्र - गूगल से साभार
दर्द समेटे भाव।
जवाब देंहटाएंअप्रतिम।
बेहद हृदयस्पर्शी
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