गुरुवार, 23 मई 2019

पापा ! आज घर जल्दी आना !

पापा ! आज घर जल्दी आना 

तुमने कहा था न हम घूमने चलेंगे

तुमने ये भी कहा था हम आइसक्रीम खायेंगे
और ख़रीदोंगो वो रेलगाड़ी 
जो गोल-गोल घूमती है
अरे वही जो पेंसिल सेल से चलती है 

पापा ! आज घर जल्दी आना 

मैं क्या पहन के चलूंगा तुमने पूछा था न 
मम्मी ने धो दिया है वो जीन्स टी शर्ट 
और तुम्हारे आने से पहले ही वो सुख जायेगा

पापा ! प्लीज प्लीज आज घर जल्दी आना।

कविता - रवीन्द्र भारद्वाज

चित्र - गूगल से साभार

3 टिप्‍पणियां:

  1. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (25 -05-2019) को "वक्त" (चर्चा अंक- 3346) पर भी होगी।

    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    ….
    अनीता सैनी

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    1. आभार जी सादर
      इस रचना को 'चर्चामंच' में स्थान देने के लिए
      🙏🙏🙏

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