शुक्रवार, 5 अप्रैल 2019

उसे भूल जाओ

बुरे सपने की तरह उसे भूल जाओ 

हर वो चीज भूल जाओ 
जो तुम्हे सताती है बेहद 

और वो वादें भी 
और वो कसमें भी 
जो उसने खायी थी 
तुम्हें खुश रखने के लिए 

अब वो नही लौटेगी 
जान लो तुम ये 
जी करे तो 
गाँठ बाध लो 
कि वो नही आयेगी अब कभीभी लौटकर 

चित्र और कविता - रवीन्द्र भारद्वाज

2 टिप्‍पणियां:

  1. हे शायर ! अपने अन्दर झाँक कर तो देखो. तुम्हारे दिल के भीतर उम्मीद का जो चिराग जल रहा है, उसकी रौशनी तो तुम्हारे अपने अल्फ़ाज़ में भी झलक रही है.

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  2. बिल्कुल सही .....
    हृदयतल से आभार आदरणीय

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